आनंद भी अब शासन के जिम्मे : राजकिशोर

राजकिशोर
सोलह जुलाई को मध्य प्रदेश के इतिहास ने एक करवट ली। उस दिन सरकार के मंत्रिमंडल ने सरकार में एक नया विभाग खोलने का निर्णय किया। यह स्पष्ट नहीं है कि यह आनंद विभाग किस मंत्रालय के अंतर्गत काम देगा। यह तय करना कठिन भी होगा, क्योंकि आनंद कोई ऐसी चीज नहीं, जिसे वित्त, शिक्षा या जन संपर्क विभाग के अधीन रखा जा सके। सब को मिला कर आनंद का वातावरण बनता है, न कि किसी एक की श्रीवृद्धि से। शायद इसीलिए मुख्यमंत्री ने यह विभाग अपने पास रखा है।  

कोई प्रस्ताव कर सकता है कि बेहतर होता यदि आनंद विभाग संस्कृति मंत्रालय को सौंप दिया जाता, जिसके अंतर्गत भारत भवन, साहित्य कला परिषद, आदिवासी कला केंद्र आदि चलते हैं। इन सभी संस्थाओं का लक्ष्य साहित्य, नाटक, संगीत, कला इत्यादि के माध्यम से गुणी जनों को आनंद देना है। ये वे जगहें हैं, जहाँ आ कर लोग स्वतः आनंदित होते हैं, जो आनंदित नहीं हो पाते, यह उनकी विफलता है, क्योंकि राज्य ने तो अपनी ओर से भरपूर कोशिश की थी।

लेकिन, मुख्यमंत्री जिस आनंद विभाग की सदारत करेंगे, वह दूसरी किस्म का आनंद है। यह किस चीज से पैदा होता है, यह नहीं बताया जा सकता। वास्तव में, यह पूरी परिस्थिति से उपजता है। जैसे कहा जा सकता है कि पंजाब के लोग बिहार के लोगों से ज्यादा खुशहाल हैं। पंजाब की यह खुशहाली वहाँ के लोगों की संपन्नता, सामाजिक उदारता, स्त्रियों की स्वतंत्रता, मस्ती और चिंताहीनता से उत्पन्न हुई है। आप ठीक समझे, यह विभाग आनंद का नहीं, खुशहाली का है। अंतरराष्ट्रीय शब्दावली में यह 'हैप्पीनेस' है, जिसका दरिद्र अनुवाद आनंद किया गया है। संस्कृत से हिन्दी में आया हुआ आनंद शब्द किस मन:स्थिति को व्यक्त करता है, इसकी ओर संकेत करने के लिए दो शब्द काफी हैं – ब्रह्मानंद और काव्यानंद। कुछ लोग रति के आनंद को भी इसी श्रेणी में रखते हैं। आनंद सिर्फ सुख पाना या सुखी होना नहीं, सुख-विभोर हो जाना है। मैं नहीं जानता कि कोई सरकार सर्वसाधारण को सुख-विभोर कर सकती है – पहले वह खुद तो हो ले।

भारतीय दर्शन में जिसे आनंद कहा गया है, उसके लिए संसाधन नहीं, साधना चाहिए  - कोई साधक ही इस ऊँचाई पर पहुँच सकता है, ले। इसके लिए मध्य प्रदेश के कैबिनेट ने उदारतापूर्वक प्रावधान किए हैं। प्रस्तावित विभाग में एक अध्यक्ष, एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी, दो निदेशक (एक अनुसंधान के लिए और दूसरा समन्वयन के लिए, एक लेखाधिकारी, चार अनुसंधान सहायक, छह कनिष्ठ सहायक और पाँच भृत्य रखे गए हैं। विभाग के लिए कुल 3 करोड़, 60 लाख और अस्सी हजार रुपए का बजट प्रस्तावित है।  यह वर्तमान वित्त वर्ष के बचे हुए आठ या नौ महीनों का खर्च है। उम्मीद की जाती है, इससे पूरा नहीं तो आंशिक आनंद जरूर उपलब्ध कराया  जा सकता।

मध्य प्रदेश सरकार की इस खब्त का संबंध विश्व हैप्पीनेस रिपोर्ट से है, तो कुछ वर्षों से प्रकाशित की जा रही है। रिपोर्ट यह बताती है कि किस देश के लोग कितने हैप्पी हैं। कुल अंक दस  हैं, जिसमें 2016 में पूरे विश्व का औसत 5.1 प्रतिशत है। यानी दुनिया के लगभग आधे लोग ही खुश या खुशहाल हैं। ये लोग कहाँ रहते हैं? 2016 की विश्व हैप्पीनेस रिपोर्ट के अनुसार, डेनमार्क के लोग सब से ज्यादा हैप्पी हैं। उन्हें 7.526 अंक मिले हैं। डेनमार्क के बाद दस देशों का क्रम इस प्रकार है : स्विट्जरलैंड (7.509), आइसलैंड (7.501), नॉर्वे (7. 489), फिनलैंड (7.415), कनाडा (7.404), नीदरलैंड (7.339), न्यूजीलैंड (7.334), ऑस्ट्रेलिया (7.313), स्वीडन (7.291) और इजरायल (7.119)। ग्यारहवाँ देश संयुक्त राज्य अमेरिका है और हँसिएगा मत, जापान, जिसे आजकल हम अपने लिए एक आदर्श देश मान रहे हैं, का स्थान 53वाँ है।

आप अधीर हो रहे होंगे कि मैं यह क्यों नहीं बता रहा हूँ कि इस इनडेक्स  में भारत कहाँ पर हैं, यानी यहाँ के लोग कितने खुशहाल हैं।  तो सुनिए, भारत का दर्जा 118वाँ है - सोमालिया (76वाँ), चीन (83वाँ), पाकिस्तान (92वाँ), ईरान (105वाँ), फिलीस्तीन (108वाँ) और बाँग्लादेश (110वाँ) से नीचे। जिस सोमालिया में कुछ वर्ष पहले हर साल अकाल पड़ा करता था और लाखों लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती थी, वहाँ के लोग भी हम से ज्यादा सुखी हैं। वास्तव में, भारत उन दस देशों में है, जहाँ हैप्पीनेस का स्तर लगातार गिर रहा है। इन दस देशों में  वेनेजुएला, सऊदी अरबिया, इजिप्ट, यमन और बोत्सवाना शामिल हैं।

शायद इसी से चिंतित हो कर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, जैसा कि उन्होंने बताया है, कई  महीनों से राज्य में एक आनंद विभाग स्थापित करने की सोच रहे थे। 16 जुलाई को उनकी यह महत्वाकांक्षा पूरी हुई। अखबारों में छपा कि मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने आनंद विभाग खोला है। इस समाचार से प्रसन्न होने वालों के लिए सूचना है कि विश्व हैप्पीनेस रिपोर्ट में हर साल सब से ऊपर आए देशों में से किसी में भी हैप्पीनेस मंत्रालय या विभाग नहीं है। यह मंत्रालय सिर्फ तीन देशों में है -  भूटान, दुबई और यूएई। खबर है कि भारत सरकार भी आनंद मंत्रालय खोलने की सोच रही है। शायद वह भी आध्यात्मिक आनंद, सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा आदि की बात करे।

हमारे मनीषियों ने बताया है कि आनंद खोजे से नहीं मिलता, वह तो हमारे भीतर छिपा हुआ है। यह बात गलत नहीं है, लेकिन जो लोग हैप्पीनेस आंदोलन चला रहे हैं, उनकी नजर दूसरी चीजों पर है, जैसे सकल राष्ट्रीय उत्पाद (कोई देश साल भर में कितना पैदा करता है), नागरिक स्वाधीनता, मानव अधिकार, वहाँ विषमता कितनी कम है, सामाजिक सपोर्ट कितना है, राज्य द्वारा कितनी कल्याणकारी योजनाएँ चलाई जा रही हैं, अल्पसंख्यकों के प्रति राज्य और समाज का नजरिया कैसा है। कहना न होगा, ये चीजें अकेले आनंद विभाग पैदा नहीं कर सकता, यह तो पूरी सरकार के परफॉर्मेंस पर निर्भर है। अच्छा होता अगर कोई ऐसा विभाग खोला जाता जो समग्र परफॉरर्मेंस को कोड़े मारने का काम करता।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें